Sunday, November 18, 2007

चन्द नग्में ~ मेरे अपने लिखे (३)

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एक दिन तो ऐसा आएगा, जब सुबह होगी महफ़िल से,
जब सुबह होगी महफ़िल से जब शाम धलेगी महफ़िल से
जब शमां जलेगी महफ़िल में और राग पतंगे गायेंगे,
जब राग पतंगे गायेंगे परवाने वारे जायेंगे

जब रात गुलों से महकेगी, जब वो भी मय से बहकेगी,
जब चांदनी तन को जलायेगी, जब मरहम वो ही जलायेगी
जब मरहम वो ही लगायेगी, तब जलन और बढ़ जायेगी,
एक दिन तो ऐसा आएगा, जब सुबह होगी महफ़िल से,

1 comment:

ashu said...

sir ji....level 20 bata do...dimaag ki dahi ban gayi hain