Sunday, November 10, 2013

रघुपति राघव राजा राम..........

बच्चों की अभिलाषा कृष-3 देखने की थी और मन में आया कि चलो अपना भी मन फिर जायेगा, सो इन्टरनेट से शहर के एकमात्र मल्टीप्लेक्स में जिसमें Big Cinema है से टिकट पूरे परिवार के लिए कराया | पिछली बार (शायद बर्फी देखी थी) के मुकाबले टिकट 20 रूपए और महंगी हो कर 200 रूपए फी टिकट मिली, हालांकि अभी भी दिल्ली एनसीआर में काफी सस्ती टिकट में से है | उस पर अच्छा ये हो गया कि 3 के साथ 1 फ्री का ऑफर बिना कुछ किये ही बिग सिनेमा से मिल गया, इन्टरनेट से कराने पर | तो जी 700 के अन्दर-अन्दर जुगाड़ हो गया, पहुँच गए मियां, बीवी बच्चों सहित |

कई दिनों से FM रेडियो पर गाना बज रहा था "रघुपति राघव राजा राम...", ये नहीं पता था की मुई इसी पिक्चर में है | सो जी पिक्चर के शायद शुरूआती आधे घंटे में ही गाना आ गया | देखते ही लगा वाह बापू ! मान गए, छा गए, क्या गाना बनाया है....आप तो वो क्या कहते हैं ....भजन कहते थे न उसे...ye..ye...some spiritual type song. तो बापू आप तो ऊपर निकल लिए हो या कहें निकाल दिए गए हो आप को धरती का तो कुछ पता होगा नहीं | आपने सोचा था (सेक्युलर होते हुए भी शायद) कि ऐसा भजन जिस में ईश्वर और अल्लाह दोनों आते हैं गायेंगे, और भारतीय जनता एक हो जायेगी और अंग्रेजों का भारत छोड़ करा डालेगी | देखा आपने, हमने अंग्रेजों का भारत छोड़ तो क्या उनको कहीं का नहीं छोड़ा |

अब देखो मात्र ऐसा तो था नहीं कि अंग्रेज यूँ गए और हम यूँ भारतीय बन गए और सब हमारा हो गया, अरे बापूजी वो तो बहुत पहले से और बहुत अच्छे से हमारे गुलाम रहने का इंतजाम तसल्लीबख्श कर गए थे | और वो हम हिन्दुस्तानियों की तरह जुगाड़ कर के नहीं गए थे बल्कि पक्का कार्यक्रम बना कर गए थे | शिक्षा में ऐसा पक्का हिसाब बैठा कर गए कि उस समय (मैकाले के समय) की तो पता नहीं, पर अब कोई बिना अंग्रेजी या अंग्रेजियत के बेपढ़ा-लिखा ही माना जाता है |

सो, आपके गाने सॉरी भजन पर आयें, तो अब कोई धोती-कुर्ता-साड़ी टाइप लोग आपके भजन को नहीं गाते हैं बल्कि बालों में Garnier का हेयर डाई लगाये जिससे you know अंग्रेज टाइप लुक आता है एक मैडम ऊंचे और नीचे कपड़े (ऊपर से नीचे और नीचे से ऊंचे) पहने नृत्य करती हैं, वो भी ये मत समझ लेना कि भरतनाट्यम करती हैं.... हे...हे...हे....वो डांस करती हैं | आपने अपने जमाने में तो बस ऐसी इंग्लिश मेम ही देखी होंगी जो बहुत से कपड़े पहनती थीं, आखिर हाथरस और कानपुर कपड़ों की राजधानी जो थे | वैसे उस समय का ठीक-ठीक अंदाजा नहीं, पुरानी हॉलीवुड की पिक्चर तो यही बताती हैं कि बहुत कपड़े पहनती थी, और वैसे आपकी माया भी अपरम्पार थी किसे कैसे देखा हो कोई ठिकाना नहीं | मगर गाना भी कहाँ हो रहा है? डिस्को में, बस गनीमत यही है की दारु पकड़े कोई दिखाई नहीं दे रहा था हा....हा....हा... देखा था कोई डिस्को दक्षिण अफ्रीका या लन्दन में ? तो बस समझ लो :)

मगर ये सब सुन कर कुंठित मत होना, हमने अंग्रेजों की मट्टी पलीद कर रखी है | वो क्या समझते थे की हम बस Bloody Indians ही हैं ? बापू लगा दी है हमने अब वो फर्क ही नहीं कर पाते कौन हिन्दुस्तानी और कौन ब्रिटिश | वो डिस्को जाते हैं, हम भी जाते हैं; वो दारु पीते हैं, हमने भी कोई कसर छोड़ नी रक्खी हे...हे...हे...| जरा कापसहेड़ा बॉर्डर पर गुडगाँव से दिल्ली की तरफ आ जाओ, UK का हर शहर घबरा जायेगा इतने ठेके हैं | कपड़े...बापू हमने सूती, खादी वो सब तो अब छोड़ दिया है...नहीं नहीं मतलब पूरा नहीं छोड़ा है.....Louis Phillip की सूती और Cannaught place की खादी अभी भी पहनते हैं | लड़कियां और लड़के पूरे सलीके से Traditional कपड़े पहनते हैं मगर क्या है कि हिन्दुस्तान में अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों में लोग-बाग़ काम करते हैं तो होली-दिवाली-14 अगस्त (हाँ सही सुना.....मतलब पढ़ा....15 को तो छुट्टी होती है न) को वो लोग कुर्ताज-सलवार्स-साड़ीज पहन कर कार्यालय आ जाते हैं |

क्या कहा....कौन....वासुदेव बलवंत फड़के ? ये कौन हैं जी, हमें क्या पता | हमें तो जी बस Brian Adam जी का पता हैं बहुत अच्छी गिटार बजावें हैं | हम तो हर Thursday मतलब वही आपका बृहस्पतिवार Route-O-4 में जाकर उनका गिटार वादन करते हैं समझ तो कम ही आता है जी but lyrics पढ़ कर 1-2 लाइन गा ही लेते हैं | आपने, सुना है कि कुछ शाकाहारी लोगों के बहकावे में आ कर भगवत्गीता भी पढ़ी थी हमने भी पढ़ी तो नहीं पर सुनी है गीता "यदा यदा हि...." बस और मत बुलवाओ आगे नहीं पता | हमारा तो ज्ञान वेदाज, कृष्णा, योगा से बहुत आगे है विद्यालय में हमें सब कुछ सिखाते हैं |

गणेश चतुर्थी ....हम्म्.....हम्म्म.....हाँ हाँ वही न जब "गणपति बप्पा मोरया ..." गाते हैं, आप क्या समझते हो हमें पता नहीं ? हाँ कब और कौनसे महीने में आती है और हर बार date क्यूँ बदल जाती है ये कुछ नहीं पता |लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ......अरे कितने नाम एक साथ ले दिए ? उनका .....उनका क्या सम्बन्ध है हमें क्या पता KBC थोड़े ना खेल रहे हैं |

लब्बोलुआब ये कि बापू हमने अंग्रेजों को भगा दिया, और खुद हम ही भारतीय नहीं रहे, अंग्रेज हो गए | संस्कृत, संस्कृति, तहजीब पुरानी बातें थी भुला दीं, अब एटिकेट्स का ज़माना है | अरे कहीं मैकाले साब दिख जायें आप को ऊपर तो बता देना भैय्या बड़ी मस्त कट रही है "लन्दन से कम हमारा दिल्ली ना है और अंग्रेजों से कम हम हिंदी ना हैं"

हे...हे.....ही....ही....इतणा घणा काफी है आज......2 अक्टूबर थोड़े ना से |